गुरुवार, 12 अक्टूबर 2023
जेल बंदियों को मानसिक बीमारी की पहचान करने और उपचार के बताए तरीके
शाजापुर। जेल बंदियों को मानसिक बीमारी की पहचान करने और उपचार के तरीके बताए गए। गुुरुवार को मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के द्वारा प्रेषित कार्ययोजना के पालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश ललित किशोर के मार्गदर्शन में जिला जेल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शाजापुर के तत्वाधान एवं जनसाहस संस्था के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह अंतर्गत न्यायाधीश राजेंद्र देवड़ा, आशीष परसाई आतिथ्य में संपन्न हुए कार्यक्रम में मानसिक रूप से कमजोर, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कानून संबंधी जानकारी दी गई। इस दौरान न्यायाधीश देवड़ा ने बताया कि मानसिक रूप से बीमार और दिव्यांग व्यक्ति को भी गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और न्याय दिलाने में मदद करनी चाहिए। जेल में रहने के दौरान अधिकांश बंदी मानसिक तनाव ग्रस्त हो जाते हैं। मानसिक तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन क्रियाकलाप किया जा सकता है। मानसिक तनाव से बचने एवं कारणों को पहचाने के उद्देश्य से मानसिक रोग के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आशीष परसाई ने कहा कि समाज के संचालन के लिए जो नियम और कानून बनाए गए हैं उसका उल्लंघन करने वालों को जेल में रखा जाता है यह एक विधिक प्रक्रिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप जेल में तनाव का जीवन जीएं, क्योंकि तनाव लेने से आप अपने शरीर को भी खतरे में डाल रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप आपके परिवार में भी तनाव एवं चिंता बनी रहती है। इसलिए जेल में रहने के दौरान तनाव मुक्त जीवन जीने की कला सीखना आवश्यक है। कार्यक्रम में जिला विधिक सहायता अधिकारी फारूक अहमद सिद्दीकी ने मानसिक बीमारियों के लक्ष्ण बताते हुए कारण, निवारण के बारे में नालसा मानसिक रूप, अस्वस्थ बीमार व्यक्तियों के लिए विधिक सेवा योजना के बारे में समझाया। साथ ही कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य हर व्यक्ति को कानूनी जानकारी प्रदान करना है। गरीब एवं पात्र व्यक्ति को नि:शुल्क न्याय प्रदान करना है। जन साहस संस्था की ओर से भोपाल से आए प्रोफेशनल काउन्सलर सहाराजी के द्वारा जेल बंदियों को मेडिटेशन की कई क्रियाएं बताकर समझाया गया कि शारीरिक रोग को पहचानना सरल है, किन्तु मानसिक रोग को पहचाना कठिन है। यदि आपको नींद नहीं आती है, भूख नहीं लगती है, चिड़चिड़ापन रहता है अथवा ऐकान्त रहना अच्छा लगता है तो बंदी मानसिंक रोग से ग्रस्त हो सकते हैं जिसके लिए आवश्यक है कि आप अपने लिए समय निकालें और अपना ध्यान रखें। जिस कार्य करने में सुख शांति या आनंद की प्राप्ति हो उसे अपने दैनिक क्रियाकलाप में शामिल करें। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य में ध्यान का महत्व विषय पर प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रस्तुति देते हुए व्यवहारिक अनुभव कराया। इसीके साथ मानसिक स्वास्थ्य क्या है, काउंसलिंग क्या है, स्वयं की देख भाल कैसे करें इन मुद्दों पर बात की गई। इस अवसर पर प्रशिक्षु न्यायाधीश धीरज आर्य, जेल प्रहरी पंकज तोमर, जन साहस संस्था राहुल, ज्योति मौजूद थे। संचालन जेल अधीक्षक गोपाल गौतम एवं आभार उप जेल अधीक्षक बीएल मण्डलेकर ने माना।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें