शाजापुर। विश्व श्रवण बधिर दिवस को लेकर जिला चिकित्सालय शाजापुर में जागरूकता एवं परीक्षण शिविर आयोजित किया गया। रविवार सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक आयोजित शिविर की शुरूआत में डॉक्टरों ने श्रवण रोग से संबंधित जानकारियां दीं। उन्होने बहरेपन एवं सुनने की क्षमता में कमी की समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही कान एवं सुनने की देखभाल को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया। एक दिवसीय शिविर की शुरूआत में मेडिकल विशेषज्ञ डॉ आलोक सक्सेना, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज पंचोली, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ उमेश गौतम, मनो रोग विशेषज्ञ डॉ अरूण पाटीदार, नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ तेजपालसिंह जादौन मौजूद रहे।
इस दौरान डॉ जादौन ने लोगों को बहरेपन के बारे में शिक्षित करने, श्रवण हानि के प्रकार और कारणों के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु आवश्यक जानकारी दी। उन्होने कहा कि अक्सर लोग कानों को चॉबी, कॉटन स्टीक सहित अन्य तरह के घरेलू चीजों से साफ करने लगते हैं जिससे कान की सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है। उन्होने कहा कि कानों में जमने वाले मेल को किसी भी चीज से साफ नही करें, क्योंकि यह गलती आपको बेहरा बना सकती है। डॉ जादौन ने कहा कि जब कान में भारीपन लगने लगे और सुनने की क्षमता कम हो तो डॉक्टर को दिखाएं। कान में किसी प्रकार का तेल नही डालें, क्योंकि तेल से सुनने की क्षमता कम होने की खतरा बढ़ जाता है। उन्होने कहा कि जिस तरह आंखों की रोशनी कमजोर होने पर चश्मे की जरूरत पड़ती है, ठीक उसी प्रकार सुनने की क्षमता कम होने पर मशीन की आवश्यकता होती है, लेकिन लोग कान में मशीन लगाने में शर्म करते हैं जिसकी वजह से उन्हे आगे चलकर बेहरेपन का शिकार होना पड़ता है। कार्यक्रम में मनो रोग विशेषज्ञ डॉ पाटीदार ने मानसिक रोगों के लक्षण और उसके उपचार के बारे में बताया। उन्होने कहा कि मनोरोग का समय पर इलाज कराया जाना बेहद जरूरी है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। संचालन राजदत्त दुबे ने किया।
शिविर में किया 75 मरीजों का इलाज
विश्व श्रवण बधिर दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के बाद अस्पताल में कान से संबंधित रोगियों की जांच की गई। डॉ तेजपालसिंह जादौन ने बताया कि शिविर में कान से संबंधित 75 रोगियों का परीक्षण कर जांच की गई, जिनमें से 50 रोगियों की सुनने की क्षमता कम होने पर उनकी उज्जैन से आए डॉक्टर ने मशीन के माध्यम से जांच की। सभी रोगियों को आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह के साथ दवाई दी गईं। डॉ जादौन ने मरीजों से कहा कि वे स्वयं अपने कानों की सफाई न करें और परिवार के लोगों को भी ऐसा करने से रोकें, क्योंकि छोटी-छोटी गलतियां ही बढ़ी परेशानी का कारण बन जाती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें