शाजापुर। अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। वहीं आशा, उषा और आशा सहयोगी भी हड़ताल पर बैठकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने में जुटी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग में अहम भूमिका निभाने वाले इन कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं की हड़ताल पल्स पोलियो अभियान के सफल संचालन में भी रोढ़ा साबित हो सकती है, क्योंकि अभियान में प्रतिवर्ष यही कार्यकर्ता व्यवस्था को संभालने का काम करते हैं, ऐसे में इस बार इनकी अनुपस्थिति व्यवस्था को खासा प्रभावित करने वाली है। हालांकि प्रशासन ने मामले में अनुभवहीन लोगों की मदद लेने का मन बनाया और दावा किया है कि हड़ताल से किसी भी तरह की परेशान नही होगी। अब ऐसे में देखना यह है कि जिन कांधों पर पोलियो की खुराक पिलाई जाने की जिम्मेदार डाली जाएगी, क्या वे सही ढंग से अपनी जिम्मेदारी निर्वहन कर सकेंगे?
उल्लेखनीय है हड़ताल पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और इसीके चलते शनिवार को हड़ताली कर्मचारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय परिसर में सरकार की सद्बुद्धि को लेकर यज्ञ कर उसमें आहुति डाली। हड़ताली संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि वे स्वास्थ्य विभाग में विगत 15 वर्षों से अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार द्वारा उन्हे नियमित नही किया जा रहा है। मांगों को लेकर हर बार आंदोलन किए जाते हैं और सरकार उन्हे आश्वासन का हलवा परोस कर हड़ताल समाप्त करवा देती है, लेकिन इस बार मांग पूरी नही होने तक हड़ताल जारी रहेगी। भगवान सरकार को सद्बुद्धि दें कि संविदा कर्मचारियों का शीघ्र ही नियमितीकरण किया जाए और निष्कासित कर्मचारियों को नियमित किया जाए इसको लेकर सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष शैलेंद्र सोनी, लालसिंह मसानिया, रजनीश श्रीवास्तव, मनोज सलूजा, अरूण वर्मा, राजेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में महिला और पुरूष स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित थे।
आशा और उषा भी हड़़ताल पर
गौरतलब है कि अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर जिलेभर की लगभग 820 आशा, उषा और आशा सहयोगी कार्यकर्ता भी हड़ताल पर हैं। आशा और उषा कार्यकर्ताओं की मांग है कि उन्हे नियमित किया जाए, मानदेय की राशि 18 हजार रुपए प्रतिमाह की जाए, अस्पताल में कार्यकर्ताओं का अपमान किया जाता है, इसे सख्ती से रोका जाए ताकि कार्यकर्ता सम्मानपूर्वक कार्य कर सकें, कार्यकर्ताओं को दैनिक भत्ता दिया जाए, गर्भवती को अस्पताल ले जाने के दौरान कार्यकर्ताओं को अस्पताल में ही रात गुजारनी पड़ती है इसलिए उनके लिए अलग से कक्ष की व्यवस्था की जाए, कार्यकर्ताओं का बीमा किया जाए, कागजी कार्रवाई कम से कम की जाए, आशा सहयोगी को सुपरवाईजर का दर्जा दिया जाए। प्रदर्शन के दौरान भारती जाटव सहित बड़ी संख्या में आशा, उषा और आशा सहयोगी कार्यकर्ता उपस्थित थीं।
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