शनिवार, 19 अप्रैल 2025

दरगाह बनेगी अमन, मोहब्बत और सौहार्द की मिसालहजरत मुर्तुजा अली शाह बावड़ी वाले बाबा का 53वां उर्स 21 अप्रैल से

शाजापुर। शहर के हाट मैदान स्थित ऐतिहासिक दरगाह हजरत मुर्तुजा अली शाह बावड़ी वाले बाबा का आस्ताना एक बार आपसी भाईचारे और मोहब्बत की रौशनी से जगमगाने वाला है। परंपरानुसार बावड़ी वाले बाबा का 53वां सालाना उर्स मुबारक 21 अप्रैल से शुरू होगा, जो 22 अप्रैल तक चलेगा। यह दो दिवसीय आयोजन न सिर्फ आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द की एक शानदार मिसाल भी पेश करेगा। दरगाह कमेटी के मिर्जा गुलाब बेग ने बताया कि उर्स में हर धर्म और जाति के लोग बढ़-चढक़र हिस्सा लेते हैं। यह दरगाह हमेशा से मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम देती आई है जिसकी वजह से यहां आने वाला हर इंसान पहले इंसान है, फिर किसी मजहब का होता है। बेग ने बताया कि उर्स में खास आकर्षण कव्वाली का आयोजन रहेगा जिसमें सूफियाना कलाम के माध्यम से शांति, प्रेम और ईश्वर की इबादत को सुरों में पिरोया जाएगा। कव्वालों की मेहफिल में हिन्दू-मुस्लिम सभी समुदायों के लोग एक साथ बैठकर झूमते हैं, यही शाजापुर की खूबसूरती है। उन्होने बताया कि दरगाह में विशेष चादरपोशी, अकीदतमंदों की आमद और अमन-चैन की दुआओं के साथ पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत 21 अप्रैल की सुबह 8 बजे कुरआन ख्वानी से होगी। इसके बाद शाम 5 बजे नमाजे असर के बाद हाजी मरहूम मिर्जा असगर बैग साहब के घर से चादर शरीफ पेश की जाएगी, जिसे अकीदत के साथ जुलूस के रूप में दरगाह तक ले जाया जाएगा। रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक कव्वाली की मेहफिल सजेगी, जिसमें सूफियाना कलाम और बाबा की शान में पेश होने वाले अशआर, दिलों को जोडऩे का काम करेंगे। मेहफिल में हर धर्म, हर पंथ के लोग एक साथ बैठकर ईश्वर की इबादत का सुर में हिस्सा बनेंगे। मिर्जा गुलाब बेग ने बताया कि बाबा की दरगाह सिर्फ मुसलमानों की नहीं, पूरे शहर और समाज की आस्था का केंद्र है। यहां कोई भेदभाव नहीं। हर साल की तरह इस बार भी दरगाह में सजावट, लाइटिंग और जायरीनों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। 22 अप्रैल को भी रात 9 बजे कव्वाली होगी और 4 बजकर 13 मिनट पर कुल शरीफ होगा जिसमें हजारों अकीदतमंद शामिल होंगे। दो दिवसीय उर्स के दौरान मेला भी लगेगा जिसमें झूलों से लेकर खिलौनों की दुकानें रहेंगी।

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