शाजापुर। गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में जिलेभर में विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हुए और इस दिन जहां भैरव मंदिरों में भेरू महाराज की सपरिवार पूजा की गई तो वहीं दूसरी तरफ कालेजों में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वहन किया गया। गुरु पूर्णिमा के मौके पर गुरूवार को स्थानीय बापू की कुटिया पर विगत पांच दिनों से आयोजित यज्ञ पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ। इसीके साथ नगर के अति प्राचीन नित्यानंद आश्रम में गुरु बापजी की चरण पादुका की पूजा-अर्चना की गई और बापजी की प्रतिमा का अभिषेक कर महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया गया। वहीं स्थानीय भैरव डूंगरी पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा और सैकड़ों सीढि़यां चढ़कर बच्चे, बूढ़े, महिला और पुरूषों ने भैरव बाबा की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष भैरव डूंगरी पर विराजित नगर कोतवाल के नाम से प्रसिद्ध भैरव बाबा की गुरु पूर्णिमा पर विशेष चोला चढ़ाकर पूजा की जाती है और इसी पुरानी परंपरा के चलते गुरु पूर्णिमा के दिन भैरव डूंगरी पर भक्तों का दिनभर तांता लगा रहा और भेरू बाबा को भक्तों ने प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाया। पूर्णिमा के मौके पर नगर के अन्य भैरव मंदिरों में भी विशेष चोला चढ़ाकर महाआरती की गई। इसीके साथ बापू की कुटिया पर आयोजित पांच दिवसीय पंचकुंडीय महायज्ञ का भी पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ।
कन्या महाविद्यालय में हुआ आयोजन
किला परिसर स्थित शासकीय कन्या महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के मौके पर गुरूवार को भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया। इसके पश्चात महाविद्यालय में गुरुजनों का सम्मान, भारतीय ज्ञान परंपरा के परिप्रेक्ष्य में गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व पर उद्बोधन एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बीकेएसएन कॉलेज की सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. शकीला खान उपस्थित थीं। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. पी. मूंदड़ा ने की। प्राचार्य डॉ. मंूदड़ा ने गुरु शिष्य संबंधों पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि शिष्य को अपने गुरु का सम्मान एवं आदर करना चाहिए।
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