शाजापुर। कर्म किसी का पीछा नहीं छोड़ते, एक भव में किया गया कर्म अनंत भवों तक भूगतना पड़ता है। कई तीर्थंकरों को जब कर्मगति का हिस्सा बनना पड़ा तो हमारी क्या स्थिति होगी, ये अत्यंत विचारणीय विषय है। पर्युषण पर्व मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य समाज में नवजागृति लाना है। शास्त्रानुसार तीर्थंकर भगवंतों की वाणी का अनुसरण करते हुए जीवन जीना चाहिए लेकिन सम्पूर्ण वर्षभर में यदि हम इसका पालन नहीं कर पाते हैं तो वर्ष के आठ दिन मन, कर्म, वचन और काया से हमें वैसी जीवनशैली अवश्य अपनानी चाहिए, जैसी शास्त्रों में बताई गई है। आठ दिनों का यह समर्पण हमारे पूरे वर्ष के पाप-ताप-संताप का अंत कर देता है।
उक्त बातें रविवार को स्थानीय ओसवालसेरी स्थित जैन उपाश्रय में आयोजित पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के तीसरे दिवस नगर के सुश्रावक सौरभ नारेलिया ने धर्मसभा में उपस्थित जैन समाजजनों को अष्ठानिका प्रवचन के रूप में कही। उल्लेखनीय है कि स्थानीय श्वेताम्बर जैन समाज के आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का आयोजन इन दिनों समाजजनों द्वारा ओसवालसेरी स्थित मालवरत्न परम पूज्य पन्यास प्रवर श्रीवीररत्न विजयजी म.सा. की शुभप्रेरणा से निर्मित चौबीस जिनालयधाम में धूमधाम से किया जा रहा है। इस दौरान प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक, सामाजिक एवं तप-आराधना के कार्यक्रमों का लाभ समाजजन ले रहे हैं। धर्मसभा में प्रवचन देते हुए श्री नारेलिया ने 11 आश्चर्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि महावीर प्रभु का गर्भ परिवर्तन, अभावित पर्शदा, केवलज्ञान के बाद भी उपसर्ग, सूर्य और चन्द्र का अपने मूल विमान सहित प्रभु की देशना सुनने आना, मल्लीनाथ भगवान का स्त्री तीर्थंकर होना, श्रीकृष्ण का अमार्कका में जाना, हरिवंशकुल की उत्पत्ति, चमरेन्द्र का उध्र्व गमन व असयंति का पूजन। शास्त्रों में वर्णित ये कुछ ऐसे आश्चर्य हैं जो तीर्थंकर भगवंतों के काल में हुए हैं। इसके पश्चात दोपहर 2 बजे दादावाड़ी में स्वर्गीय कैलाशचन्द्र (बरडिय़ा) जैन की स्मृति में कामेश (बरडिय़ा) जैन की तरफ से दादा गुरूदेव की पूजा का धार्मिक आयोजन सम्पन्न हुआ। रात्रि 8 बजे स्थानीय जैन मंदिर में लोकेन्द्र नारेलिया भक्ति मंडल द्वारा परमात्मा की रंगारंग भक्ति सम्पन्न की गई तथा जैन उपाश्रय में जैन भजनों पर आधारित धार्मिक अंताक्षरी की प्रतियोगिता भी सम्पन्न की गई। उक्त समस्त कार्यक्रमों में सभी समाजजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
आज निकलेगा कल्पसूत्र का चलसमारोह
प्रवचनकर्ता नारेलिया ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के चतुर्थ दिवस आज सोमवार को सुबह 9 बजे कल्पसूत्र बेहराने के साथ ज्ञानपूजा करके कल्पसूत्र वाचन प्रारंभ किया जाएगा। इसके पश्चात दोपहर 1-30 बजे चौबीस जिनालयधाम से कल्पसूत्र का भव्य चलसमारोह निकाला जाएगा, जो शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होकर पुन: मंदिर पहुंचेगा।


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