बुधवार, 30 जुलाई 2025
मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस पर विदिशा सोशल वेलफेयर ओर्गानाजेशन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए समन्वित कार्रवाई पर दिया जोर
शाजापुर। मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस पर विदिशा सोशल वेलफेयर ओर्गानाजेशन के द्वारा बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में बाल संरक्षण और बाल अधिकारों के क्षेत्र से जुड़े सभी प्रमुख हितधारक एक साथ आए। मक्सी रेलवे स्टेशन पर हुए इस कार्यक्रम में आपीएफ पुलिस मक्सी थाना प्रभारी विकास सिंह गुर्जर, श्रम विभाग से श्रम इंस्पेक्टर रूपकिशोर चौहान, महिला एवं बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक मधुबाला परमार, निर्मला डावर, चाइल्ड लाइन से देवेन्द्र गोठी, विशेष किशोरे, पुलिस इकाई से आरक्षक अमिता सिसोदिया, विदिशा सोशल वेलफेयर ओर्गानाजेशन जिला प्रभारी शुभम जोशी, राहुल डंडोतिया, रवि मालवीय, देवेन्द्र राजपूत ने हिस्सा लिया और एक सुर से स्वीकार किया कि बाल दुर्व्यापार यानी बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए सभी एजेंसियों व विभागों को साथ मिलकर कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है, ताकि ट्रैफिकिंग गिरोहों में कानून का भय पैदा हो सके। वहीं श्रम इंस्पेक्टर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के बारे में लोंगो को जानकारी दी। बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह माना कि मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, संवेदनशील तबकों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनके कामकाज के तरीकों के बारे में संवेदनशील बनाना और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना तत्काल जरूरी है, जिससे मुक्त कराए गए बच्चों के लिए तय समयसीमा में न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि विदिशा सोशल वेलफेयर ओर्गानाजेशन ने पिछले वर्ष के दौरान कई बच्चों को बाल श्रम, ट्रैफिकिंग और बाल विवाह से बचाया है। संगठन ने यह रेखांकित किया कि बच्चों की ट्रैफिकिंग केवल बाल मजदूरी या मुनाफे के लिए यौन शोषण तक ही सीमित नहीं है। बहुत से बच्चे, खास तौर से लड़कियां, जबरन विवाह के लिए भी ट्रैफिकिंग का शिकार बनती हैं। यह एकऐसी समस्या है जिसके बारे में कम ही चर्चा की जाती है और रोकथाम के उपायों पर भी ज्यादा बात नहीं होती। कार्यक्रम में सोशल वेलफेयर के डायरेक्टर राम रघुवंशी ने कहा कि यदि बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकना है तो कानूनी कार्रवाई जरूरी है। बाल दुर्व्यापारियों को जब शीघ्र और सख्त सजा मिलेगी, तभी हम उनमें कानून का भय पैदा कर पाएंगे और यह भय ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए सबसे असरदार उपाय साबित होगा। रोकथाम अभियानों की सफलता के लिए जिले में मजबूत प्रशासनिक समन्वय और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई आवश्यक है। इस तरह से काम कर हम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बल्कि उन ट्रैफिकिंग गिरोहों के नेटवर्क का भी खात्मा कर सकेंगे जो बच्चों का शिकार करते हैं।
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