शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025

महापुराण और यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ गूंजे जयकारे, गुरु विश्रानंद जी और परी माता की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा

शाजापुर। मां कलेश्वरी मंदिर परिसर में पिछले सात दिनों से चल रहे आध्यात्मिक अनुष्ठान का समापन गुरूवार को वैदिक मंत्रोच्चार और महाआरती के साथ हुआ। शिव महापुराण कथा और पंचकुंडात्मक यज्ञ की पूर्णाहुति के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने धर्मलाभ लिया। इस विशेष मौके पर गुरु और कुलदेवी की नूतन मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा भी भव्यता के साथ संपन्न हुई। समापन सत्र में कथा व्यास पंडित राम शर्मा आचार्य ने व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सात्त्विक जीवन जीने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि नश्वर संसार में भगवान का भजन और स्मरण ही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है। कथा के प्रसंगों का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार अल्पायु मार्कण्डेय जी ने भगवान शिव की कठोर साधना कर अमरत्व प्राप्त किया। आचार्य ने काशी (बनारस) की महिमा बताते हुए उसे अविमुक्त क्षेत्र कहा और बताया कि वहां देह त्यागने वाले प्राणी को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है, क्योंकि उसका कल्याण स्वयं महादेव करते हैं।
शोभायात्रा के साथ हुई प्राण-प्रतिष्ठा
सात दिवसीय अनुष्ठान केवल कथा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह गुरु भक्ति का भी संगम बना। गुरु विश्रानंद जीरू कार्यक्रम के अंतर्गत गुरु महाराज विश्रानंद जी की नूतन मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। मंदिर परिसर से एक भव्य शोभायात्रा ग्राम सेतखेड़ी के लिए निकाली गई। वहां उनके समाधि स्थल पर विधि-विधान से मूर्ति स्थापित की गई। इसके साथ ही परिवार की कुलदेवी परी माता की मूर्ति की भी आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चारण और प्राण संचार विधि द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न कराई। कार्यक्रम के अंत में यज्ञ वेदी में आहुतियां डालकर यज्ञ नारायण को पूर्णाहुति दी गई। इस दौरान मां कलेश्वरी भक्त मंडल के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति और श्रद्धालु उपस्थित रहे। महाआरती और प्रसादी वितरण के साथ इस धार्मिक महोत्सव का समापन हुआ।

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